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Originally Posted by rajnish manga
माँ की आँखों में बसी उसकी बेटी की छवि कभी धूमिल नहीं हो सकती. उस समय तो और भी नहीं जब वह बेटी असमय ही काल ने छीन ली हो. अपनी प्यारी बेटी की याद में लिखी गयी यह कविता भाव-विव्हल कर देती है. जब माँ उसकी मधुर स्मृति को श्रद्धा सुमन अर्पित करती है तो ईश्वर भी भावुक हो जाता होगा. बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
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बहुत बहुत बहुत बहुत धन्यवाद भाई।
.madhur smritiyan hi kabhi kabhi jine ka sahara ban jati hain bhai or bas thoda sa likh diya kartin hain ye smritiyan ..