Re: आँसुओं में बह जाती है उदासी
उदास रहने से उम्र घटती है
बढ़ती महंगाई, बेकारी एवं बेरोजगारी ने आज के वातावरण को उदास बना दिया है। आज देश के लगभग 70 प्रतिशत व्यक्ति उदासी की व्याधि से ग्रसित है।गुमसुम बैठे रहने से व्यक्ति की मनोदशा शनैः शनैः विकृत रूप धारण करती जाती है और वह अपराधी की ओर प्रवृत्त होता जाता है। वैज्ञानिक सर्वेक्षण से भी यह साबित हो चुका है कि उदास रहने से उम्र घटती है। आज के कलुषित वातावरण से उन्मुक्त हंसी गुम होती जा रही है।
ऐसे बहुत मिलेंगे जो उदासी को ओढ़े होंगे। अनेक लोग इस बात को समझ नहीं पाते कि उन्हें अंदर से क्या हो रहा है? बस वे अपने आप को गुमसुम व अकेला महसूस करते हैं। मानव आज बेहद व्यस्त है और ऐसे में वह अपने सामाजिक दायित्वों को निर्वाह कर पाने में भी अक्षम साबित हो रहा है। अपने विचारों के अदान-प्रदान की स्थिति को सदैव अनुकूल बनाये रखने से आप अपनी उदासी को हमेशा के लिए भगा सकते हैं।
निराश एवं उदासी व्यक्ति में मानसिक अशक्तता उत्पन्न कर देती है। युवाओं एवं बुजुर्गों में उदासी अधिक मात्रा में पाई जाती है। युवाओं को रोजगार की चिन्ता, परीक्षा में असफलता एवं प्रेम में असफलता बुरी तरह निराशा कर देते हैं जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य गिरता जाता है तथा वे बुरे कामों एवं व्यसनों में लग जाते हैं।
इसी प्रकार वृध्दों में भी उदासी की भावना अधिक होती है। अधिकांश बुजुर्ग व्यक्ति एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं। अकेलेरहने से व्यक्ति स्वस्थ चिंतन नहीं कर पाता था तथा उसे मानसिक अवसाद आ घेरते हैं। हाल ही में किए गए वैज्ञानिक सर्वेक्षणों से यह पता चला है कि उदासी, निराशा, एवं हताशा से व्यक्ति की उम्र घटती हैं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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