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Old 23-10-2015, 10:06 PM   #16
soni pushpa
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Default Re: शाकाहार

[QUOTE=internetpremi;555849]आपके विचारों से सहमत हूँ।
आजीवन शाकाहारी रहा हूँ।
यहाँ तक कि १९९५ में जब मेरा , किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में, कोरिया में पोस्टिंग हुआ था, वहाँ भी मैं तीन महीने रहकर, माँस को नहीं छुआ।
दूध, डबल रोटी, चावल, गेंहूँ , सब्जियाँ और फल से काम चलाया।
कोरिया में लोग सोचते रह जाते थे कि यह भारत वासी अभी तक कैसे जिन्दा रहने में कामयाब हुआ है, जब वह "ढंग का खाना" खाता ही नहीं!
कोरिया के लोग सब कुछ खाते हैं यहाँ तक कि सड्क पर घूमती बिल्लियों और कुत्तों को भी खा जाते हैं और मैंने एक बार वहाँ एक आदमी को एक मछली को कच्चा चबाते हुए भी देखा था।
साँप का मांस तो speciality माना जाता है।

मानता हूँ कि इस बात पर तर्क - वितर्क हो सकता है।
सालों से यह वाद विवाद चलता आ रहा है और मुझे नहीं लगता कि कभी इस पर शाकाहारियों और मांसाहारियों के बीच समझौता होगा।
मेरे कई दोस्त माँसाहारी हैं और मेरा उनके साथ live and let live, या mutual tolerance का policy है|
पर एक बात मुझे कभी हज़्म नहीं होगी और वह है शिकार के लिए जानवरों को मारना और उसे क्रीडा समझना, और किसी जानवर को किसी धार्मिक अवसर पर बली चढाना। जिन लोगों को इसका शौक है, उनसे मेरी दोस्ती संभव नहीं।

आगे भी लिखते रहिए। लम्बे अरसे से मैं यहाँ से गायब था। अब लौटा हूँ और धीरे धीरे मैं पुराने सूत्रों पर पधार रहा हूँ।
शुभकामनाएं

शाकाहार सूत्र पर आपने बहुत सही विचार रखे हैं जी हाँ फार ईस्ट में सांप तक खा जाते हैं लोग और न जाने क्या क्या खाते हैं कई बार देखा सुना है टीवी में और किताबों में पढ़ा है पर मांसाहार का असर सेहत के साथ मानसिकता पर भी बहुत पड़ता है एईसी चीज़े (कुत्ते बिल्ली का मांस ) खाने से दिमाग भी इतना ही चलता है इनका सात्विकता नहीं रह जाती
आपकी वापसी पर आपका स्वागत है . आपसे मिले पहले कमेंट्स से मुझे आगे लिखने का प्रोत्साहन मिला है बहुत बहुत धन्यवाद विश्वनाथ जी
soni pushpa is offline   Reply With Quote