......रामनवमी.......
रामनवमी की पूर्व संध्या पर भगवान् राम के लीला काल के बारे में कुछ खास खास बातें याद आती ही है जेइसे की अहल्या को चट्टान से नारी के रूप में बदलना , भरत से उनकाभ्राता प्रेम ,शबरी के झूटे बेर खाना केवट की नाव में बैठना . रावन दहन , जिसमे से शबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान देना एक बहुत रोचक हैं चलिए हम आज शबरी जी और राम भगवान् के मिलन की कुछ बातें जाने . ===
नवधा भगति कहउं तोहि पाहीं। सावधान सुनु धरु मन माहीं॥
1. प्रथम भगति संतन्ह कर संगा।
2. दुसरि रति मम कथा प्रसंगा॥
3. गुरु पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान।
4. चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान॥
5. मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा। पंचम भजन सो बेद प्रकासा॥
6. छठ दम सील बिरति बहु करमा। निरत निरंतर सज्जन धरमा॥
7. सातवँ सम मोहि मय जग देखा। मोतें संत अधिक करि लेखा॥
8. आठवँ जथालाभ संतोषा। सपनेहुं नहिं देखइ परदोषा॥
9. नवम सरल सब सन छलहीना। मम भरोस हिय हरष न दीना॥
नव महुं एकउ जिन्ह कें होई। नारि पुरूष सचराचर कोई॥
सोइ अतिसय प्रिय भामिनी मोरें। सकल प्रकार भगति दृढ़ तोरें॥
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