Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
मौन अधर की भाषा
मन ही जाने
मन ही समझे
मौन अधर की भाषा,
न शब्द
न कोष
मन ही बूझे
मौन अधर की परिभाषा।
कभी आंसू बन यह छलके
कभी सूर्ख पलकों से झलके
कभी चेहरे पर पढ़ लेता मन
मौन अधर की अभिलाषा।
मन में कई तरह के विचार एक झण में आये और गुजर गए। गांव में प्रेम की पूर्णाहुति देह पर होती थी और पूर्णाहुति का यह क्षण मेरे आगे बांह फैलाए खड़ा था। इस सबके बीच द्वंद जारी थी जिसमें मन की कसौटी पर पवित्र-प्रेम, नैतिकता-अनैतिकता सहित कई तरह के चीजों को कसी जा रही थी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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