Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
खैर, इस सब के बीच भजन गाने के मेरे नये शौक ने आज मंगलबार को देवी स्थान तक दोस्तों के साथ लेकर चला आया। यहां रीना का बड़ा भाई ढोलकिया था। मैं भी एक झाल लेकर बजाने लगा। हलांकि ईश्वर के प्रति आस्था-अनास्था जैसी कोई बात मुझमें नहीं थी सो थोड़ी ही देर में मैंने झाल एक साथी को थमा दी और वहीं बैठे बैठे मेरी आंख लग गई। भगवान की आरती का समय आया तो मुझे साथियों ने जगाना चाहा-
‘‘अरे उठी न रे, आरती में नै सोना चाही’’
पर मेरी नींद नहीं मानी और जब सब लोग खड़े होकर आरती गा रहे थे मैं सो रहा था कि तभी पैर में किसी चीज ने काटा और मैं जोर से चिल्लाने लगा। लोगों ने टॉर्च जला कर देखा तो एक बिच्छू डंक मार कर भागा जा रहा था। उसे मार दिया गया।
‘‘देखलीं, भगवान के आरती में नै सोना चाही, तों तो जिद्दी हीं, के समझइतै।’’
कोई कह रहा था पर मैं अपने पैर के जलन से बेचैन था और बेतहाशा रो रहा था। सबसे पहले मेरे जांध के उपर गमछे से लपेटा लगा कर बांध दिया गया और फिर वहीं एक बिच्छा उतारने वाला सामदेव ने झारना प्रारंभ कर दिया। मन ही मन वह कुछ बुदबुदाता और फिर जोर से पैर को पटकने के लिए कहता, कुछ देर तक यह सिलसिला चलता रहा पर कुछ असर नहीं हुआ। मैं रोता हुआ घर आया। टोले के लोग अभी सोये नहीं थे सो उनके बीच हलचल हो गई। बहुत लोग देखने आए जिसमें से रीना भी थी उसे देख मेरे रोने की आवाज थोड़ी कम हो गई पर उसके व्यंगय वाण चलने लगा।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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