Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘ बड़की महात्मा बने ले जा है, भजन गइला से भगवान खुश होथुन। ओकरो पर अरतिये घरी सुत जा है, वाह रे नयका जमाना’’
‘‘देख, जादे मथवा खराब नै कर, ढेर मामा बनमहीं ने त ठीक नै होतउ।’’ मैंने अपने गुस्से का इजहार किया।
‘‘ बाप रे गोस्बा तो ऐसन है जैसे हमहीं काट लेलिये।’’
इसी बीच किसी ने डाक्टर साहब के पास जाने की सलाह दी और फूआ के साथ उसकी डांट को सुनता हुआ डाक्टर साहब के पास चला गया। वहां उन्होने छोटी सी शीशी में बंद एक तरल मलहम निकाला और बिच्छू के काटे के स्थान पर लगा दिया। बहुत तेज जलन हुई पर उन्होने पहले ही कह दिया था बरदास्त करना होगा।
खैर करीब आधा घंटा के बाद जलन कम होना शुरू हुआ तो मैं घर चला आया। गांव में यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। नहीं मेरे बिच्छू काटने की नहीं, आरती के समय नहीं जागने की और सभी ने एक सुर से कहा-‘‘ महावीर जी ने तुरंते सजा दे देलखिन, जादे होशियार बनो हई।’’
‘‘अरे गुडूआ नवीन दा मर गेलखुन’’
नीमतर खंधा में हम तीन-चार साथी मछली मार रहे थे तभी गांव पर से बाचो ने आ कर यह खबर दी और हम सभी लोग जिस हालत में थे उसी हालत में दौड़ते हुऐ गांव की तरफ भागे। यह जेठ का महीना था और गांव के सबसे गहरे तलाब के सबसे गहरे हिस्से की पानी को अहले सुबह से हम लोग उपछ रहे थे। इसकी योजना पिछले शाम को ही साथियों के साथ मिल कर बना ली थी जिसमें रीना का भाई गुडडू भी था उसे टीम में रखना इसलिए आवश्यक था कि इसमे मांगूर मछली का निकलना तय था जिसे हममें से कोई पकड़ नहीं सकता था और वह इसको पकड़ने का एक्सपर्ट था।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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