Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले,
अजनबी जैसे अजनबी से मिले,
हर वफ़ा एक जुर्म हो गया,
दोस्त कुछ ऎसी बेरुखी से मिले,
फूल ही फूल हमने मांगे थे,
दाग ही दाग ज़िंदगी से मिले,
जिस तरह आप हम से मिलते हैं,
आदमी यूँ न आदमी से मिले..
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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