Re: निंदक नियरे राखिये
सबसे पहले धन्यवाद kuki जी , आपने बहुत अच्छा विषय रखा है यहाँ ..हम आपके शुक्रगुजार हैं .
जैसे की दोहे का सबसे पहला वाक्य है निंदक नियरे राखिये ..... याने कबीर जी का सबसे पहला वाक्य ही ये कहता है की आप निंदक याने की आपकी आलोचना करने वाले को आपने पास रखिये , भावार्थ में ये ही कहा जा रहा है की यदि हमें खुद के लिए कुछ करना है, आगे बढ़ना है और अपने ज्ञान को ज्यादा विकसित करना है, तो निंदक याने की आलोचक का होना जरुरी है . क्यूंकि आपकी हाँ में हाँ मिलाने वाले , हर वक़्त आपकी प्रसंशा करने वाले आपको उन्नति के मार्ग तक नही ले जा सकते . कुछ तो एइसे लोग होने ही चहिये जो आपकी भूलो को आपके सामने रखे .
कहा जाता है इन्सान भूलो से ज्यादा सीखता है न की हर समय की वाहवाही से .पर हाँ मै कुछ अंश तक ये भी मानती हूँ की इन्सान के जीवन में आगे बढ़ने के लिए थोड़ी शाबाशी थोडा प्रोत्साहन जरुरी है . दूसरी बात ... कई जगह देखने को मिलता है की किसी ने थोड़ी निंदा की तो लोग दिल पर ले लेते हैं और हताश हो जाते हैं .. और उनके मन के टूटने के कारन उनका विकास रुक जाता है एइसे लोग बहुत नाजुक मन के होते हैं इसलिए कबीर जी जेइसे महान साहित्यकारों ने एइसे प्रतिभावान किन्तु नाजुक मन के लोगो को समझाने के लिए एइसे शब्द रचना द्वारा समझाया था की एइसे आलोचक भी अछे हैं जो आपकी भूलो को बताकर आपके किये कार्य को और अच्छा बनना चाहते हैं और सही अर्थो में वो आपके सच्चे शुभचिंतक हैं ...
और रही बात शासन की या सरकार की तो विपक्ष जितना सबल और बड़ा आलोचक होगा तो वो देश उतना ही शक्तिशाली शाली होगा क्यूंकि बड़े ओहदों पर विराजमान राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री जी हो या मुख्यमंत्री जी हों उन्हें ये आलोचक जगाये रखते हैं , आराम की नींद सोने नही देते ( आलोचनाओ द्वारा ) इस वजह से उनका काम अच्छा होगा और देश उन्नति करेगा ही इस तरह भी कबीर जी के शब्द bahut उपयोगी सिध्द होते हैं
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