Re: भारतीय स्त्री की व्यथा
गताँक से आगे
कहानी है उस औरत की जो इन्सान की कतार मेँ भटकी हुई एक मुसाफिर है जिसका एक एक अँग दुःख की अनुभूति से सचेत है । वह आवश्यक है परन्तु अपने लिए नहीँ , समाज के लिए नितान्त आवश्यक ।अनेक युगोँ के लिए उसके सेवाधर्म के विधान बन गये । उसका आचरण उसकी अपनी स्वतन्त्र इच्छा का परिणाम तो किँचित भी नहीँ होता क्योँकि उसे कर्म करना ही सिखाया जाता है , फल को भोगना नहीँ ।
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