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Old 23-12-2010, 10:23 AM   #14
lalit1234
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lalit1234 is on a distinguished road
Default Re: भारतीय स्त्री की व्यथा

इस गीत में औरत के बारे में सबकी संवेदना ज़रूर जागेगी

औरत ने जनम दिया मर्दों को , मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला , जब जी चाहा दुत्कार दिया
औरत ने जनम दिया मर्दों को

तुलती है कहीं दीनारों में , बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है , ऐय्याशों के दरबारों में
ये वो बे -इज्ज़त चीज़ है जो , बंट जाती है इज्ज़तदारों में
औरत ने जनम दिया मर्दों को

मर्दों के लिए हर ज़ुल्म रवां , औरत के लिए रोना भी खता
मर्दों के लिए लाखों सजें , औरत के लिए बस एक चिता
मर्दों के लिए हर ऐश का हक , औरत के लिए जीना भी सज़ा
औरत ने जनम दिया मर्दों को

जिन होटों ने इनको प्यार किया , उन हो तहों का व्योपार किया
जिस कोख में इनका जिस्म ढला , उस कोख का कारोबार किया
जिस तन से उगे कोपल बन कर , उस तन को ज़लील -ओ -खार किया
औरत ने जनम दिया मर्दों को

मर्दों ने बनायी जो रस्में , उनको हक का फरमान कहा
औरत के ज़िंदा जलने को , कुर्बानी और बलिदान कहा
किस्मत के बदले रोटी दी , और उसको भी एहसान कहा
औरत ने जनम दिया मर्दों को

संसार की हर इक बेशर्मी , घुर्बत की गोद में पलती है
चकलों ही में आ के रूकती है , फाकों में जो राह निकलती है
मर्दों की हवस है जो अक्सर , औरत के पाप में ढलती है
औरत ने जनम दिया मर्दों को

औरत संसार की किस्मत है , फिर भी तकदीर की हेती है
अवतार पयम्बर जानती है , फिर भी शैतान की बेटी है
ये वो बदकिस्मत मां है जो , बेटों की सेज पे लेटी है
औरत ने जनम दिया मर्दों को
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