Re: नौ साल छोटी पत्नी
'तुम सि़र्फ टॉफियाँ लालीपॉप ले आओ।’
'नहीं, मैं सब चीजें लाऊँगी।'
'तुम्हारे पास कितने पैसे हैं?'
'पाँच रुपये।’ तृप्ता ने थूक निगलते हुए कहा।
'पाँच रुपयों से तो ये सब नहीं आयेगा, तुम्हारे पास जरूर और पैसे होंगे।’
'कसम से, इतने ही हैं।’ तृप्ता ने कहा, ‘आप सोम से पूछ लें, वह पाँच रुपये ही दे कर गया था।’
कुशल शेव बना चुका था, परन्तु तुरन्त नहाना नहीं चाहता था, बोला, ‘भला तुमने सोम से पैसे क्यों लिए?’ तृप्ता का चेहरा छिले आलू की तरह हो गया, बोली, ‘आपने मना किया होता तो कभी न लेती।’
'पैसे लेने में तो कोई हर्ज नहीं था...।’ कुशल ने कहा, ‘क्यों नाहक उसका खर्च करवाया जाये। उस दिन दुकान पर आया तो बहुत से फल भी लेता आया था।’ झूठ बोल कर उसे खुशी हुई।
'आपने बताया क्यों नहीं?’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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