Re: मुहावरों की कहानी
रंगे हाथ पकडे जाना
यह मुहावरा सदियों से चला आ रहा है : ”रंगे हाथों पकड़े जाना ।” आखिर ये मुहावरा कब और कैसे बना ? हमारा खयाल है कि इस घटना के बाद ही यह बना होगा-एक दिन दक्षिण भारत के प्रसिद्ध विजय नगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेवराय के दरबार की कार्यवाही चल रही थी कि नगर सेठ वहां उपस्थित होकर दुहाई देने लगा : ”महाराज! मैं मर गया…बरबाद हो गया-कल रात चोर मेरी तिजोरी का ताला तोड़कर सारा धन चुराकर ले गए। हाय…मैं लुट गया।”
महाराज ने तुरन्त कोतवाल को तलब किया और इस घटना के बारे में पूछा । कोतवाल ने बताया : ”महाराज! हम कार्यवाही कर रहे हैं मगर चोरों का कोई सुराग नहीं मिला है ।” ”जैसे भी हो, वो शीघ्र ही पकड़ा जाना चाहिए ।” महाराज ने कोतवाल को हिदायत देकर सेठ से कहा : ”सेठ जी आप निश्चित रहे-शीघ्र ही चोर को पकड़ लिया जाएगा ।”
आश्वासन पाकर सेठ चला गया । उसी रात चोरों ने एक अन्य धनवान व्यक्ति के घर चोरी कर ली । पुलिस की लाख मुस्तैदी के बाद भी चोर पकड़े न जा सके । और उसके बाद तो जैसे वहां चोरियों की बाढ़ सी आ गई। कभी कहीं चोरी हो जाती कभी कहीं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 28-01-2018 at 02:03 PM.
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