Re: मिथक कथा: गिलगमेश
गिलगमेश दो-तिहाई देवता है और बाकी मानव। वो एक महान योद्धा है जो एक महान शहर उरुक का राजा है। पर उसकी सेक्स की भूख बहुत ही तीव्र है और वह युवाओं और युवतियों दोनों से जबरन सेक्स करता है। उस जमाने में हालांकि शादी का चलन शुरू हो गया था, पर पुरुष और पुरुष के बीच में प्रेम-प्रसंग और सेक्स आम बात होती थी। क्योंकि उसके शहर का कोई इंसान उससे सेक्स करने से मना नहीं कर सकता था इसीलिये उस शहर के लोग उससे परेशान थे। उन्होंने ईश्वर से प्राथना कर के उसके सेक्स की भूख को नियंत्रित करने के लिये कहा।
देवताओं ने इस प्राथना के जवाब में गिलगमेश के लिये एक युवक प्रेमी का सृजन किया --- एक दूसरा योद्धा जिसका नाम एनकीडू था। देवताओं ने अपने थूक और उपजाउ मिट्टी को मिला कर एक ऐसा युवक पैदा किया जिसमें वो शिक्त् थी कि सेक्स की धुन में पागल गिलगमेश को अपने प्यार में बांध कर रख पाये। प्राचीनकाल के लोग जानते थे कि केवल मर्द ही दूसरे मर्द के सच्चे प्रेमी और साथी बन सकते हैं, क्योंकि यही नरों का मूल स्वभाव है। और यह इस गाथा से भलीभांति उजागर होता है।
एनकीडू को सीधे गिलगमेश को सौंपने के बजाय देवता उसे घने जंगलों में छोड देते हैं जहां वह जानवरों की तरह रहता है और जानवरों का रक्षक बन जाता है। एक टारज़न की तरह जो कि अपने आप को पूरी तरह से प्रकृति का भाग ही समझता है।
यह बात भी शहर के लोगों को गंवारा नहीं हुई क्योंकि एनकीडू उन्हें ना तो शिकार करने देता था और ना हीं जानवर पकडने देता था। इसीलिये शहर के लोगों ने एनकीडू को रिझाने के लिये मंदिर की वेश्या को भेजा (पहले जमाने में वहां के मंदिरों में वेश्यावृति होती थी जिनमें स्त्रियों से ज़्यादा हिजडे होते थे, बल्कि शायद पुरुष भी होते थे)।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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