जय भैया के लिए एक कविता लिखी है उसके बाद फिर जय भैया से अपने बारे में बोली गयी बातों के लिए उनकी राय मांगी जायेगी.
जय भैया है सच्चे इतने कभी ना करते गुमान, नवागत और पुरानों को देखते एक समान.
देखते एक समान कभी ना करते दंगा, नियम अगर हो भंग तो बातों से कर दें नंगा.
शांत चित्त से काम में लगे रहें दिन रात, फोन अगर कर लो तो करें प्रेम से बात.
करें प्रेम से बात दिल हैं इनका सच्चा, तभी तो इनको चाहे अक्ष, सिकंदर,खालिद बच्चा.
सदा रहें इनकी कृपा हमपर कृपा निधान, सौ साल तक जिए भैया ऐसा करो विधान.
ऐसा करो विधान बात है बिलकुल सच्ची, फोरम पर अब ना रहेगी ज्यादा माथा पच्ची.
कह अक्ष कभी भी इनका कम ना हो नाम, गुठली हमें मिलती रहें और भैया खाएं आम.
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Last edited by aksh; 11-11-2010 at 11:08 PM.
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