Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
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खुशवंत सिंह
सन 2010 में प्रकाशित हुई इस पुस्तक में लेखक ने अपनी उम्र के अंतिम छोर पर पहुंचे तीन अधेड़ पुरुषों की कहानी बयान की है. दिल्ली में एक साथ बिताये हुए एक वर्ष में वे अपने अतीत की स्मृतियों को खंगालते हैं. इसका मुख्य पात्र बूटा सिंह नाम का व्यक्ति है जिसका खाका स्वयं लेखक से काफी कुछ मिलता जुलता है. पुटक में वर्णित पार्क के एक बैंच का प्रयोग बड़ी कुशलता से किया गया है. बैंच पर बैठे तीन बुज़ुर्ग उस समय की विशेष घटनाओं, अपवादों, निजी प्रेम संबंधों तथा महिलाओं के प्रति अपने आकर्षण पर टिप्पणियाँ करते हैं. कथा के बीच बीच में बूटा सिंह धर्म के बारे में तथा समकालीन समाज पर प्रवचन भी करते चलते हैं. लेखक खुशवंत सिंह के जीवन का काफी बड़ा भाग लोधी गार्डन तथा सुजान सिंह पार्क (जो उनके दादा के नाम पर बसा है) से जुड़ा है. इस प्रकार यह पुस्तक उनकी ओर से इन स्थानों और उनसे जुड़े लोगों को एक उपहार है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 01-09-2015 at 10:07 PM.
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