Re: गणतंत्र दिवस
"जिनकी वजह से हम आज ये दिवस मना रहे हैं उन्हें मेरा भावभीना वंदन शत शत नमन"
आपने कविता की भूमिका में देश के उन योद्धाओं का स्मरण किया है जिन्होंने 200 वर्ष तक विदेशी आक्रान्ताओं के साथ संघर्ष किया और न जाने कितनी कुर्बानियां दीं. आपकी देशभक्ति से परिपूर्ण कविता का हम अभिनंदन करते हैं. कुछ विशेष पंक्तियाँ उद्धृत कर रहा हूँ:
आप थे वीर सपूत इस धरती के
शत शत वन्दन करते हम तुमको
मना रहे गणतंत्र दिवस हम आपके ही बलबूते से
वर्ना आज भी खड़े होते हम निराश नागरिक मुर्दे से
आपकी वीरता के गुणगान जितना करे उतने कम है
मेरे रक्षक मेरे सैनिक भाई शत शत वंदन है तुझको
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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