Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे,
के अपने सिवा कुछ दिखाई न दे,
खतावार समझेगी दुनिया तुझे,
के इतनी जियादा सफाई न दे,
हंसो आज इतना के इस शोर में,
सदा सिसकियों की सुनायी न दे,
अभी तो बदन में लहू है बहुत,
कलम छीन ले रोशनाई न दे,
खुदा ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई न दे..
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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