Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
“फ्रेजर्स मेगजीन” के सम्पादक को एडवर्ड फिट् जगराल्ड ने अपनी कविताओं की पाण्डुलिपि लाकर दी, जिसका नाम “उमरखैयाम की रुबाईयाँ” था उन्होंने न केवल उनकी हँसी उड़ाई, बल्कि चौकीदारों से बाहर खदेड़वा दिया। एडवर्ड निराश नहीं हुए। उन्होंने कुछ पैसे उधार लेकर उसे छपवाया। जब वह किताब आधे क्राउन में भी नहीं बिकी, उन्होंने उसकी कीमत घटाकर एक शिलिंग कर दी। फिर भी न बिकने पर उन्होंने एक कबाड़ी के यहाँ कुछ प्रतियाँ प्रसिद्धि प्राप्त साहित्यकार राँसेटी, स्वाइन बर्न एवं सर रिचार्ड बर्टन के पास पहुँची तो उन्होंने इस छिपी प्रतिभा को पहचाना। इसके बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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