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भूत-प्रेत के अस्तित्व में विश्वास
किसी को भूत-प्रेत के अस्तित्व में विश्वास हो या न हो, वह भूत-प्रेत के प्रति अपनी रुचि अवश्य ही प्रदर्शित करता है।
यद्यपि भूत-प्रेतों के अधिकांश प्रमाण उपाख्यात्मक होते हैं फिर भी इतिहास गवाह है कि आरम्भ से ही लोगों का भूत-प्रेत में व्यापक रूप से विश्वास रहा है।
भूत-प्रेत की अवधारणा उतनी ही पुरानी है जितना कि स्वयं मनुष्य है। कहा जाता है कि भूत-प्रेत मृतक व्यक्तियों के आभास होते हैं जो कि प्रायः मृतक व्यक्तियों के जैसे ही दृष्टिगत होते हैं।
अनेकों देशों की लोकप्रिय संस्कृतियों में भूत-प्रेतों का मुख्य स्थान है। सभी देशों के संस्कृतियों में भूत-प्रेतों से सम्बंधित लोककथाएँ तथा साहित्य पाई जाती हैं।
एक व्यापक धारणा यह भी है कि भूत-प्रेतों के शरीर धुंधलके तथा वायु से बने होते हैं अर्थात् वे शरीर-विहीन होते हैं।
अधिकतर संस्कृतियों के धार्मिक आख्यानों में भूत-प्रेतों का जिक्र पाया जाता है।
हिन्दू धर्म में "प्रेत योनि", इस्लाम में "जिन्नात" आदि का वर्णन भूत-प्रेतों के अस्तित्व को इंगित करते हैं।
पितृ पक्ष में हिन्दू अपने पितरों को तर्पण करते हैं। इसका अर्थ हुआ कि पितरों का अस्तित्व आत्मा अथवा भूत-प्रेत के रूप में होता है।
गरुड़ पुराण में भूत-प्रेतों के विषय में विस्तृत वर्णन किया गया है।
श्रीमद्भागवत पुराण में भी धुंधकारी के प्रेत बन जाने का वर्णन आता है।
भूत-प्रेत प्रायः उन स्थानों में दृष्टिगत होते हैं जिन स्थानों से मृतक का अपने जीवनकाल में सम्बन्ध रहा होता है।
भूत-प्रेत शब्द का प्रयोग मृतात्माओं के संदर्भ में भी किया जाता है।
मरे हुए जानवरों के भूत के विषय में भी जानकारी मिलती है।
जहाँ भूत-प्रेतों का वास हो उन्हें भुतहा स्थान कहा जाता है।
सन् 2005 में गेलुप आर्गेनाइजेशन के द्वारा किये गये सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि 32% अमरीकी भूत-प्रेतों में विश्वास रखते हैं।
भूत-प्रेतों से सम्बंधित फिल्में तथा टी वी कार्यक्रम भी व्यापक रूप से लोकप्रिय रहे हैं।
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