08-11-2017, 05:48 PM
|
#251
|
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
|
Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (7 November)
बहादुर शाह ज़फर / Bahadurshah Zafar
Born: 24 Oct 1775 / Died: 7 Nov 1862
---------------------------------------------------------
ग़ज़ल (1)
सूफ़ियों में हूँ न रिन्दों में, न मयख़्वारों में हूँ,
ऐ बुतो, बन्दा ख़ुदा का हूँ, गुनहगारों में हूँ!
मेरी मिल्लत है मुहब्बत, मेरा मज़हब इश्क़ है
ख़्वाह हूँ मैं क़ाफ़िरों में, ख़्वाह दीं-दारों में हूँ
नै मेरा मूनिस है कोई, और न कोई ग़म-गुसार
ग़म मेरा ग़मख़्वार है, मैं ग़म के ग़मख़्वारों में हूँ
जो मुझे लेता है, फिर वह फेर देता है मुझे
मैं अजब इक जिन्स नाकारा ख़रीदारों में हूँ
ऐ ज़फ़र मैं क्या बताऊँ तुझको, जो कुछ हूँ सो हूँ
लेकिन अपने फ़ख़्रे-दीं के कफ़स बरदारों में हूँ
ग़ज़ल (2)
लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में
किस की बनी है आलम-ए-नापायेदार में
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में
उम्र-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिन
दो आरज़ू में कट गये दो इन्तज़ार में
कितना है बदनसीब "ज़फ़र" दफ़्न के लिये
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 08-11-2017 at 06:10 PM.
|
|
|