Re: शेरो - शायरी
तुम्हारी बज्म में हम संभल जाते यह मुश्किल था,
तुम्ही बेताब करते थे, तुम्हीं फिर थाम लेते थे।
-'जलाल' लखनवी
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बज्म- महफिल
बेताब-व्याकुल, बेचैन,
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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