Re: गायत्री उपासना-शंकाएँ एवं समाधान
सर्वशक्तिः पराविष्णो ऋग्यजुः साम संचिता। सैषा त्रयीतपत्यंहो जगतश्च हिनस्ति या॥
सैष विष्णुः स्थितिः स्थित्यां जगतः पालननोतः। ऋग्यजुः सामभूतोऽन्तः सवितुर्द्विज! तिष्ठति॥
सम्पूर्ण संसार को सृजन पालन एवं संहारात्मक रूप से प्रकट करने वाली भगवती अपरा स्वयं सर्वतन्त्र, स्वतन्त्र शक्ति है, सर्वशक्ति विष्णु की पराशक्ति एवं ऋग्यजुः और साम संज्ञा वाली है। यही त्रयी रूप में संसार में प्रकाशित होकर सृष्टिस्थिति और संहार करती है।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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