Re: गायत्री उपासना-शंकाएँ एवं समाधान
मासि मासि खेर्या यस्तत्र तत्रहि सा परा। त्रयी मयी विष्णु शक्तिरनस्थानं करोतिवै॥
ऋचः स्तुवन्ति पूर्वाह्ने मध्याह्ने च यजूँषि वैः। वृहद्रथन्तरादीनि सामान्यंगक्षये रविम्॥
अंग सैषा त्रयी विष्णो ऋग्यजुः साम संज्ञिताः। विष्णु शक्ति खथानं सदादित्ये करोति सा॥
ब्रह्मा द्वारा रजोगुण धारण करने से सृजन, विष्णु द्वारा सत्व गुण के धारण करने से जगत् का पालन तथा सर्ग के अन्त में इस सम्पूर्ण विश्वाण्ड को अपने में लीन करने यह त्रिमूर्ति स्वरूप वाली है और सविता में ऋग्यजुः और सामभूत होकर यह निवास किया करती हैं। पूर्वाह्न में ऋक्, मध्याह्न में यजुः और सायंकाल में वृद्धद्रथन्तरादि साम श्रुतियां सूर्य स्तुति किया करती है। यही आदित्य में निवास करने वाली वेदत्रयी है।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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