Re: गायत्री उपासना-शंकाएँ एवं समाधान
न केवलं रवेः शक्तिर्वैष्णवी सा त्रयीमयी। ब्रह्माऽथ पुरुषो रुद्रस्त्रयमेतत्त्रयी मयम्॥
एवं सा सात्विकी शक्तिर्वैष्णवी या त्रयीमयी। आम सप्तगणस्थं तं भास्वन्तमधितिष्ठति॥
यह केवल रवि की शक्ति विष्णु स्वरूपिणी ही नहीं है प्रत्युत ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र इन तीनों से युक्त एवं त्रयीमयी है। इस प्रकार से यह त्रयीमयी आद्या शक्ति अपने सातों गणों में अवस्थित सूर्यदेव में समाविष्ट हैं।
देवी भागवत पुराण में भगवती गायत्री महाशक्ति की महत्ता का सविस्तार वर्णन है। उसे समस्त देवताओं का उपास्य और समस्त मन्त्रों का शिरोमणि बताया गया है।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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