26-07-2013, 10:52 PM
|
#122
|
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
|
Re: इधर-उधर से
गीत: प्यासा का प्यासा आजीवन
(रचना: धनञ्जय अवस्थी)
जैसे नदी प्यास के मारे
कल कल करती व्याकुल अनमन
वैसे ही मैं भटक रहा हूँ
प्यासा का प्यासा आजीवन.रंग महल के सन्दर्भों से
रह रह प्यास और कुछ जागी
वर्त्तमान दूँ उस अतीत को
आज वही अरमान विरागी –
प्यासे अधर नैनों की
प्यासी पीर विधुर सपनों की
एक एक धड़कन प्यासी है
चातक तृषा मदिर छुवनों की
बढती जाति प्यास दिनों दिन
प्यासा का प्यासा आजीवन.....मैं ही नहीं अकेले पथ में
सब की कथा व्यथा ही ऐसी
अंतर इतना, मूरत कोई हंसती
कोई रोती और बिलखती जैसी –
गाँव गली गलियारे प्यासे
नगरों के फौव्वारे प्यासे
प्यास नियति है सारे जग की
अम्बर प्यासा मरुथल प्यासे
होता रहता सागर मंथन
प्यासा का प्यासा आजीवन.
(नवनीत हिंदी डाइजेस्ट/ जनवरी २०१२ से साभार)
Last edited by rajnish manga; 26-07-2013 at 10:55 PM.
|
|
|