Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
दूरदर्शी
सत्रहवीं शती के दूरदर्शी के आविष्कार तक, पाश्चात्य जगत समस्त ब्रह्माण्ड को सौरमण्डल ही मानता था, 1609 में गालिलेओ ने छोटे से दूरदर्शी की सहायता से बृहस्पति ग्रह के चार चान्द देखे तो मानो दूरदर्शी में ही चार चान्द लग गये। और तब से विशाल से विशालतर दूरदर्शी बने जिनसे हम अब लगभग दस अरब प्रकाश–वर्ष (95 लाख करोड़ अरब किमी)की दूरी तक के नक्षत्रों, मन्दाकिनियों तथा नीहारिकाओं को देख सकते हैं। फिर हजारों मीटरों तक के क्षेत्र में फैले रेडियो दूरदर्शी बनाए गये और अब तो भारतीय मूल के नोबैल पुरस्कृत खगोलज्ञ एस. चन्द्रशेखर के सम्मान में निर्मित उपग्रह स्थित ‘चन्द्र एक्स–किरण’ वेधशाला है जो पृथ्वी के वायुमण्डल के पार से ब्रह्माण्ड के रहस्यों को खोल रही है। गुरुत्वाकर्षण तरंगों तथा शून्य या अल्पतम द्रव्यमान वाले वाले न्यूiट्रनो कणों पर खोज हो रही है।
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'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज
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