Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. दुनिया की नज़र में आपके पास सब कुछ है, मगर जीवन के इस पड़ाव पर अब आपको किन चीज़ों की आकांक्षा है?
उ. हमने कभी इस दृष्टि से न अपने आप को, न अपने जीवन को और न अपने व्यवसाय कोदेखा है. मैंने हमेशा माना है कि जैसे-जैसे, जो भी हमारे साथ होता जा रहाहै, वह होता रहे. ईश्वर की कृपा बनी रहे. परिवार स्वस्थ रहे. मैंने कभीनहीं सोचा कि कल क्या करना है, ऐसा करने से क्या होगा या ऐसा न करने सेक्या होगा. जीवन चलता जाता है, हम भी उसमें बहते जाते हैं.
प्र. एक सत्तर वर्षीय पुरुष को बुजुर्ग कहा जाता है, लेकिन आपके व्यक्तित्व पर यह शब्द उपयुक्त प्रतीत नहीं होता.
उ. अब क्या बताऊं मैं इसके बारे में? बहुत बड़ी गलतफहमी लोगों को. लेकिन हूंतो मैं सत्तर वर्ष का. आजकल की जो नौजवान पीढ़ी है, उसके साथ हिलमिल जानेका मन करता है. क्या उनकी सोच है, क्या वो कर रहे हैं, उसे देखकर अच्छालगता है. खासकर के हमारी फिल्म इंडस्ट्री की जो नई पीढ़ी है, जो नए कलाकारहैं, उन सबका जो एक आत्मबल है, एक ऐसी भावना है कि उनको सफल होना है औरउनको मालूम है कि उसके लिए क्या-क्या करना चाहिए. इतना कॉन्फिडेंस हम लोगों में नहीं था. अभी भी नहीं है. अभी भी हम लोग बहुत डरते हैं. लेकिन आज कीपीढ़ी जो है, वो हमसे ज्यादा ताकतवर है और बहुत ही सक्षम तरीके से अपनेकरियर को, अपने जीवन को नापा-तौला है और फिर आगे बढ़े हैं. इतनी नाप-तौलहमको तो नहीं आती. लेकिन आकांक्षाएं जो हैं, वो मैं दूसरों पर छोड़ता हूं.आप यदि कोई चीज़ लाएं कि आपने ये नहीं किया है, आपको ऐसे करना चाहिए, तोमैं उस पर विचार करूंगा. आप कहें कि अपने आपके लिए सोचकर बताइए, तो वो मैंनहीं करता. इतनी क्षमता मुझमें नहीं है कि मैं देख सकूं कि मुझे क्या करनाहै.
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