Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. आप जिस तरीके से नौजवान पीढ़ी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं, वह देखकर लोगों को ताज्जुब होता है कि आप कैसे कर लेते हैं?
उ. ये सब कहने वाली बातें हैं. कष्ट तो होता है, शारीरिक कष्ट होता है. अबजितना हो सकता है, उतना करते हैं, जब नहीं होता है तो बैठ जाते हैं. लेकिनऐसा कहना कि न जाने कहां से एनर्जी आ रही है, तो क्या कहूं मैं? मैं ऐसामानता हूं कि जब ये निश्चित हो जाए कि ये काम करना है, तो उसके बाद पूरीदृढ़ता और लगन के साथ उसे करना चाहिए. परिणाम क्या होता है, यह बाद मेंदेखना चाहिए. एक बार जो तय हो गया, उसे हम करते हैं.
प्र. क्या आप मानते हैं कि आप शब्दों, विशेषणों आदि से ऊपर उठ चुके हैं? इसबारे में सोचना पड़ता है कि आपके नाम के साथ क्या विशेषण लगाएं?
मैं अपने बारे में कैसे मान सकता हूं? और ये जो तकलीफ है, वह आपकी है. मुझपर क्यों थोप रहे हैं आप? मैंने तो कभी ऐसा माना नहीं है. आप लोग तो बहुतअच्छी-अच्छी बातें लिखते हैं, अच्छे-अच्छे खिताब देते हैं मुझे. मैंने कभीनहीं माना है उनको, तो मेरे लिए वह ठीक है. अब आप को कष्ट हो रहा हो, तो अब आप जानिए.
प्र. बचपन में अम्मा और बाबूजी आपका जन्मदिन किस प्रकार सेलीब्रेट करते थे?
उ. जैसे आम घरों में मनाया जाता था. हम छोटे थे, तो हमारी उम्र के बच्चों केलिए पार्टी-वार्टी दी जाती थी, केक कटता था, कैंडल लगता है. हालांकि येप्रथा अभी तक चल रही है. अंग्रेज़ चले गए, अपनी प्रथाएं छोड़ गए. पता नहींक्यों अभी तक केक काटने की प्रथा बनी हुई है! मैं तो धीरे-धीरे उससे दूरहटता जा रहा हूं. बड़ा अजीब लगता है मुझे कि फूंक मारो, कैंडल बुझ जाए.जितनी उम्र है, उतने कैंडल लगाओ. बाबूजी भी इसको कुछ ज़्यादा पसंद नहींकरते थे. इसलिए उन्होंने एक छोटी-सी कविता लिखी थी, जिसे जन्मदिन के दिन वो गाया करते थे. हर्ष नव, वर्ष नव...
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