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Originally Posted by yuvraj
साही बात की आपने ...
खुदा बेवकूफों को महफूज रखे, उन्हें खत्म न हो जाने दे; क्योंकि अगर वो न रहे तो समझदारों की रोजी मुश्किल हो जायेगी।
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हालाँकि आपके लेखकीय मेँ हास्य का पुट है और व्यवहारिक जीवन मेँ इनकी गुँजाइश बनी रहनी चाहिए अन्यथा सामाजिक परिस्थितयाँ अत्यन्त दुरूह एवं विषम हो जायेँगी । वैसे भी किसी भी समाज के लिए यूटोपिया की अवधारणा नितान्त कल्पना मात्र है ।