Re: मुहावरों की कहानी
हिंदी मुहावरा /आँखों की सुइयाँ निकालना
भावार्थ: किसी अधूरे पड़े काम को पूरा करना)
यह एक पुरानी कहावत है. लोक मानस में प्रचलित धारणा के अनुसार यदि आटे की मूर्ति बना कर शत्रु का नाम लेते हुए उसमे सुइयाँ चुभोई जायें और उसके मरने की कामना की जाये और बाद में उस मूर्ति को मरघट में रख दिया जाये तो उस व्यक्ति के अंगों में उसी तरह से सुइयाँ चुभ जायेंगी तथा उसकी मृत्यु हो जायेगी. लेकिन यदि किसी को तरकीब आती हो तो वह मृत व्यक्ति को जीवित भी कर सकता है. जीवित करने के लिए मंत्र पढ़ते हुए उन सुइयों को निकालना जरुरी है. इसी टोटके पर आधारित एक कहानी इस प्रकार है:
किसी ने उक्त विधि के अनुसार एक व्यक्ति को मार डाला. उसकी स्त्री जादू जानती थी. उसने पति को जीवित करने के लिए उसके शरीर से एक एक कर सभी सुइयाँ निकाल दीं. जब आँखों की सुइयाँ निकालने का समय आया तो बाहर से किसी ने उसे बुला लिया. वह बाहर चली गयी. इतने में उस घर में काम करने वाली नौकरानी वहाँ आ पहुंची. उसे भी वह तरकीब आती थी. उसने मंत्र पढ़ते हुए उस आदमी की आँखों से सुइयाँ निकाल दीं. इसके बाद वह आदमी जीवित हो गया. जीवित होने के बाद उसने आँखें खोली तो उसने नौकरानी को वहाँ देखा. वह सोचने लगा कि हो ना हो नौकरानी ने ही उसकी जान बचाई है. उसने अपनी पत्नी को त्याग कर उस नौकरानी से विवाह कर लिया. बाद में पता चला कि उस नौकरानी ने ही सारा षड़यंत्र रचा था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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