Re: मुहावरों की कहानी
मुहावरा / हमाम में सब नंगे
राजनीति के बारे में बात करते हुए अक्सर कहा जाता है कि हमाम में सब नंगे हैं. यह मुहावरा हमारे यहाँ आम बोलचाल में काफी प्रयोग में लाया जाता है यद्यपि राजनीति में इसका लाक्षणिक अर्थ निर्लज्ज होना या सिद्धान्तविहीन व्यवहार करने से लगाया जाता है. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि हमाम आखिर होता क्या है. हमाम असल में किसी साबुन का नाम नहीं बल्कि अरब देशों का सामूहिक स्नानगृह है. पानी बचाने के लिए अरब देशों में हमाम की परंपरा शुरू हुई. महिलाएं और पुरुष हमाम में जाकर लाइन में लगते हैं. नंबर आने पर मालिश, फिर त्वचा की सफाई होती है, उसके बाद एक बड़े से बरामदे नुमा तालाब में निर्वस्त्र होकर नहाया जाता है.
कुछ साल पहले तक नौजवान लोग महिलाओं वाले हमाम में ताक झांक भी करते थे. प्रेम कहानियां बनती थीं. शादी के वक्त दूल्हे को चिढ़ाया जाता था कि तेरी पत्नी हमाम में ऐसी दिखती है. हमाम न सिर्फ स्नानगृह था बल्कि उससे कहीं ज्यादा एक संस्कृति माना जाता रहा, कई कहानियों और कविताओं को जन्म देने वाला हमाम.
लेकिन अब अरब देशों में हमाम का चलन फीका पड़ता जा रहा है. घर घर में नल और बाथरूम होने की वजह से लोगों ने हमाम जाना कम कर दिया है. तुर्की की राजधानी इंस्ताबुल में कई ऐतिहासिक हमाम बंद हो चुके हैं. कई हमाम कॉफी हाउस में बदल दिए गए हैं. जो बचे हैं वह भी आधुनिकता के मेकअप से पुत गए हैं.
पुराने हमामों कादौर खत्म हो गया है. महिलाएं पहले हमाम में अकेली होती थीं, लेकिन अब वहपब, सिनेमा और शॉपिंग करने जा सकती हैं. घर घर में बाथरूम हैं.लेकिनपरंपरा के रूप में उसका महत्व बढ़ रहा है. तुर्की में पर्यटन उद्योग मेंहमाम एक बड़ा आकर्षण है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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