मानव शर्त के रूप में
अस्तित्ववादी मत के अनुसार अकेलापन मानव मात्र का सार है. प्रत्येक इंसान दुनिया में अकेला आता है, एक अलग व्यक्ति के रूप में जीवन यात्रा पूरी करता है और अंततः अकेला मर जाता है. इसका सामना करते हुए, इसे स्वीकार करते हुए, गरिमा और संतोष के साथ जीवन को दिशा प्रदान करना सीखना ही मानव स्थिति है.