Re: मेलजोल
यही नहीं, कबीरदास यदि आज जीवित होते तो गुण्डों और बाहुबलियों के बारे में भी यह दोहा कहकर भारी विवाद में फँस जाते-
‘पपुनेगुव’ गुण्डा भला, वाणी वज्र लकीर।
बाकी स्वारथ ना सधै, करैं घात का तीर।।
अर्थ स्पष्ट है- ‘पपुनेगुव’ अर्थात् पत्रकार, पुलिस, नेता, गुण्डा और वकील में से गुण्डा भला होता है, क्योंकि उसकी कही बात पत्थर की लकीर होती है अर्थात् वह जु़बान का पक्का होता है, किन्तु बाकी सभी का स्वार्थ यदि सिद्ध नहीं होता तो विश्वासघात कर सकते हैं।
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