Re: मेलजोल
इतना कुछ लिखने के बाद कबीरदास यदि आज जीवित होते तो सलेब्रिटी पर कुछ लिखने से क्या चूकते? आइए, देखते हैं एक दोहा-
‘सलेब्रिटी’ गॉसिप डरै, प्रीति न टूटन पाय।
कबिरा टूटै प्रीति तो, कत्ल-खू़न होइ जाय।।
अर्थ स्पष्ट है- ‘सलेब्रिटी’ अर्थात् कोई प्रतिष्ठित सार्वजनिक हस्ती गॉसिप से डरता/डरती हो तो आपसी प्रीति कभी नहीं टूटनी चाहिए, क्योंकि यदि प्रीति टूट गई तो बदनामी होने के डर से ‘सलेब्रिटी’ आपका कत्ल करवा देगा/देगी। यदि कबीरदास इस दोहे को लिख देते तो आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह अद्भुत दोहा आमजन के लिए ही नहीं, व्हाइट कॉलर क्राइम की गुत्थी सुलझाने वाली सी॰बी॰आई॰ के लिए भी अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता।
प्रमाण- इस दोहे के पक्ष में ‘मधुमति शुक्ला मर्डर केस’ एक जीवन्त प्रमाण है। राजनीतिज्ञ अमरमणि त्रिपाठी ने नवोदित कवियित्री मधुमिता शुक्ला का मर्डर करा दिया था।
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