Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
और इस तरह मैंने प्रथम श्रेणी प्राप्त किया। हां परीक्षा केन्द्र पर ही पहली बार मैं मोटर साईकिल चलाना सीखा। वह हीरो मजेस्टीक मोपेड थी जिसपर सवार होकर बरबीघा का पवन माहुरी आता था। उस मोपेड को बब्लू ने स्कूल से बाहर लुढ़काते हुए किया और झट से मैं उस पर बैठ गया, मोपेड जब सड़क पर आई तो गुडडू और बब्लू ने उसे धक्का दे दिया और वह स्टार्ट हो गई। फिर क्या था मोपेड लेकर मैं नौ दो ग्यारह। चलाना जानता नहीं था पर चला रहा था और कई किलोमीटर जाकर लौट आया। यहां आया तो हंगामा मचा हुआ था। पवन चिल्ला रहा था यह ठीक नहीं है। बस।
इस बीच कई दिनों तक रीना से उस घटना के बाद बातचीत हीं हो पाई कभी कभी दिख भी गई पर जैसे ही नजर मिली वह शर्मा कर कुलांचे भरती भाग जाती। जाने कैसी शर्म थी जो इतने दिनों तक साथ निभा रही थी और मुझे भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं हो पाई। पर मैट्रीक का रिजल्ट आने के बाद वह मेरे घर आई-
आंय शेरपरवाली बबलूआ फस्ट लइलको मिठाईया नै खिलाभे’’
मेरे फूआ से वह बोली और उसने झट से मुझ पर टाल दिया।
‘‘आउ हको जाके पुछो’’ वह मेरे कमरे में आई।
‘‘तब की इरादा है मिठाई चलतै।’’
‘‘हां चलतई नै जरूरी खिलइबई’’
बस इतनी ही बात हुई और फिर पढ़ाई की बातें होने लगी।
‘‘कहां इंटर में नाम लिखैइमही।’’
‘‘देखीं, पटना जायके तो पैसा नै हई, यहीं एसकेआर कॉलेज में लिखाइबै’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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