Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
जुवां से हमदोनों की बातें हो रही थी जिसे हर कोई सुन रहा था पर नजरों की भाषा नजरें समझ रही थी। दोनों की नजर रह रह कर उठ जाती और उसमें एक अजीब सा शुरूर की झलक मिलती। दोनों एक दूसरे से अपने दिल की बात कह जाते।
जाते जाते रीना ने हाथ में थाम रखा प्रेम पत्र मुझे दे दिया। प्रेम पत्र कम भविष्य की चिंता इसमें अधिक थी। आगे क्या करना है। आदि इत्यादी....
सिलसिला चल रहा था घीरे घीरे और इस सब के बीच हमदोनों के प्रेम प्रसंग को अभी तक कोई नहीं जान सका था पर अब लोगों को इसकी भनक लगने लगी थी पर शक ही था सिर्फ। पर कुछ घटनाऐं ऐसी घटने लगी की मैं भी नहीं समझ सका और पूरा गांव भी जान गया।
इस बीच मैं कॉलेज जाने लगा था। कॉलेज का पहला दिन भी यादगार ही रहा। यादगार इस मायने में कि पहला ही दिन गुडडू बिना एडमीशन के ही मेरे साथ क्लास चला गया। फीजिक्स का क्लास था और कड़क माने जोने वाले गुप्ता जी क्लास लेने आये। पहला दिन सा, सो सभी लड़के से नाम और रौल नंबर पूछ रहे थे। जब मेरी बारी आई तो मैंने बता दिया पर वहीं बगल में बैठा गुडडू से जब पूछा गया तो उसने बताया कि वह एडमीशन नहीं कराया है। यह जानकर गुप्ताजी भड़क गये।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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