05-11-2014, 08:01 PM
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#1002
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by anjana
तिरछी नजर का तीर है मुश्किल से निकलेगा,
दिल उसके साथ निकलेगा, अगर ये दिल से निकलेगा।
(फानी' बदायुनी)
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गरमी है जैसे धूप में उसके ही जिस्म की
और चाँदनी में नूर है उसके लिबास का
(कुमार पाशी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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