Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
गरमी है जैसे धूप में उसके ही जिस्म की
और चाँदनी में नूर है उसके लिबास का
(कुमार पाशी)
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कुछ लोगों से बैर भी ले
दुनिया भर का यार न बन
सब की अपनी साँसें हैं
सबका दावेदार न बन
"राहत इन्दोरी"
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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