Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by bindujain
कुछ लोगों से बैर भी ले
दुनिया भर का यार न बन
सब की अपनी साँसें हैं
सबका दावेदार न बन
"राहत इन्दोरी"
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न था कभी करीब जो वो दूर भी नहीं
शराब भी नहीं रही.......सुरूर भी नहीं
(अकील नोमानी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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