Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
न था कभी करीब जो वो दूर भी नहीं
शराब भी नहीं रही.......सुरूर भी नहीं
(अकील नोमानी)
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हवाएं साथ चलती हैं फ़िज़ायें साथ चलती हैं
मुझे रास्ता दिखाने को शमाएँ साथ चलती हैं
डरूँ मैं आँधियों से क्यूँ कि तूफाँ क्या बिगाड़ेगा
कि मेरे सर पे तो माँ कि दुआएं साथ चलती हैं
पुरुषोतम'वज्र'
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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