Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by anjana
ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है!
तेरी सूरत न देखें , तो दिखाई कुछ नहीं देता,,
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तन्हाई का ज़हर तो वो भी पीते हैं
हर पल जिनके साथ ज़माना होता है
आलम खुर्शीद
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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