Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील,
हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया........
(अज्ञात)
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ये क्या किस्सा है जब अरमान दुनिया के निकलते हैं
हमारे वास्ते ही किस लिये........हसरत के दिन आये
(बालस्वरूप राही)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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