Re: डार्क सेंट की पाठशाला
जब गूंजा भारत माता की जय
भारत के स्वतंत्र होने के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पिलानी के एक स्कूल में मुख्य अतिथि बनकर पहुंचे। स्कूल में विद्यार्थियों ने ऐसे विविध रंगारंग कार्यक्रम पेश किए कि पंडित नेहरू मंत्रमुग्ध होकर देखते ही रहे। हर रंगारंग प्रस्तुति के बाद वे जोर-जोर से तालियां बजाकर विद्यार्थियों का खूब उत्साह बढ़ा रहे थे। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद अपने विचार प्रकट करने के लिए पंडित नेहरू को मंच पर आमंत्रित किया गया। पंडित नेहरू मंच पर आकर बोले-आज मुझे इस स्कूल में आकर बेहद गर्व का अनुभव हो रहा है। हमारे नन्हे-मुन्ने बच्चों ने काफी मेहनत से विविध रंगारंग कार्यक्रम पेश किए और मंच पर अपने काम को पूरी कुशलता के साथ अंजाम दिया है। इन्हीं बच्चों को आने वाले समय में हमारे देश की नींव को मजबूत करना है। भारत माता का नाम रोशन करना है। तभी उत्सुकतावश एक छोटे विद्यार्थी ने पंडित नेहरू से पूछा- भारत माता कौन हैं? उस छोटे विद्यार्थी के मुंह से निकले इस सवाल को सुनकर पंडित नेहरू के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उन्होंने उस विद्यार्थी से कहा-बेटा, सोचो भारत माता कौन हैं? बालक कुछ देर तो सोचता रहा फिर बोला-हमारा देश भारत है। उसकी माता भारत माता हुई। इस पर पंडित नेहरू बोले-बच्चों, हमारा पूरा देश, इसके पहाड़, पवित्र नदियां, गांव, शहर,उद्योग सभी भारत माता हैं। हम सभी भारत माता की संतान हैं। हमारा फर्ज है कि हम अपनी भारत माता की सेवा करें, उसे विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएं। संतान का कर्त्तव्य अपनी माता की देखभाल करना है, उसका नाम रोशन करना है। इसलिए हमें ऐसे कार्य करने होंगे कि हमारा देश विश्व के भाल पर मणि की तरह चमके। यह सुनकर वहां उपस्थित स्वाधीनता सेनानी-उद्योगपति घनश्यामदास बिड़ला के साथ अध्यापक-अध्यापिकाएं भाव-विभोर हो उठे और विद्यालय का प्रांगण भारत माता की जय के उद्घोष से गूंज उठा।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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