जीवन की सीख (Jiwan ki Seekh)
दरअस्ल, मुझे उस समय बीस वर्ष पहले की एक घटना याद आ गयी थी. उन दिनों मैं कॉलेज की पढ़ाई समाप्त कर के किसी नौकरी की तलाश में था. शुरू में कोई खास चॉइस नहीं थी. चाहता था कि इतना मिल जाये जिससे मुझ अकेले प्राणी का गुजारा हो जाये. उन दिनों मैं घर से बाहर दिल्ली मैं रह रहा था. तभी मेरे एक मित्र ने बताया कि एक सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी को कुछ नौजवानों की तलाश है जो ताजा ताजा कॉलेज से निकले हों. नौकरी अल्पकालिक थी. सर्दियां शुरू हो गयी थीं. उन दिनों अक्तूबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह से मौसम बदल जाता था और हलके फुल्के वूलन कपड़े दिखाई देने लगते थे. हमारी कंपनी ने उन्हीं दिनों एक नये फ्लेवर वाला ड्रिंक निकाला था जिसको मार्केट में इंट्रोड्यूस करना बाकी था. कंपनी की योजना यह थी कि सर्दियों के शुरुआती दिनों में घर घर जा कर लोगों को इस पेय के बारे में बताया जाये और उन्हें सैम्पल के तौर पर दो बार छः छः बोतलें फ्री सप्लाई की जाये. अगली गर्मियों में उसका कमर्शियल उत्पादन किया जाना था.
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