Re: यादें ओलिम्पिक की
इस बार खत्म होगा इंतजार?
ट्रैक एंड फील्ड स्पर्द्धा में किसी भारतीय ने अब तक नहीं जीता मेडल
रोम ओलिंपिक 1960 और लॉस एंजिलिस ओलिंपिक 1984 । भारतीय नजरिए से दोनों में खास समानता है। इन दोनो ओलिंपिक की एथलेटिक्स स्पर्द्धा में भारतीय धावक (1960 में मिल्खा सिंह और 1984 में पी.टी. ऊषा) मामूली अंतर से पदक से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे। यह ओलिंपिक के इतिहास में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में भारत की ओर से दिखाया गया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और इसी के आधार पर मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख और पीटी ऊषा को उड़न परी की प्रचलित उपाधि मिली। पीटी ऊषा ने एक इंटरव्यू में कहा भी था कि यह देश का दुर्भाग्य है कि चौथे स्थान पर आने वाले धावकों की गिनती देश के महानतम एथलीटों में होती है। दुनिया यह कहने लगी कि भारतीयों में इतना दमखम नहीं है कि वे ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में कोई ओलिंपिक पदक जीत सकें। क्या लंदन कोई बदलाव लेकर आएगा। क्या हम इन कठिन मानी जाने वाली स्पर्द्धाओं में पहली बार कोई पदक जीत पाएंगे। अगर भारतीय खिलाड़ियों के हाल-फिलहाल के प्रदर्शन पर गौर करें तो इस बार भी उम्मीदों की तस्वीर काफी हद तक धुंधली ही है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Last edited by Dark Saint Alaick; 08-05-2012 at 04:12 AM.
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