Re: प्रेरक लघु कथायें
कुत्ता होना या आदमी होना
एक कुत्ता अपने परिवार के साथ सैर को निकला. छोटा-सा परिवार था उसका. पति-पत्नी और साथ में तीन बच्चे. कुतिया और कुत्ता आपस में बतिया रहे थे. कुतिया बोली—
‘आदमी होना कितना अच्छा है!’
‘हूं…’ कुत्ते ने हामी भरी….सिर्फ हामी.
‘आदमी ने अपने रहने के लिए ऊंचे-ऊंचे मकान बनाए हुए हैं. हवाई जहाज, कार, रेलगाड़ियों से वह आता-जाता है….आरामदायक गद्दों पर सोता है….’
‘हूं…!’ कुत्ता मौन रहकर सुनता रहा.
‘चंद्रमा पर उसके कदम पड़ चुके हैं. बहुत जल्दी वह मंगल ग्रह पर भी अपना झंडा फहराने वाला है….’ कुतिया पूरे जोश के साथ आदमी की महिमा का बखान कर रही थी. तभी उछलते-कूदते चल रहे पिल्लों में से दो न जाने कहां से हडि्डयां उठा लाए. तीसरा पिल्ला ललचाई नजरों से अपने भाइयों को देखने लगा. अचानक कुत्ते के नथुने फड़क उठे. वह दोनों पिल्लों पर झपटा और उनके मुंह से हडि्डयां छीनकर दूर फेंक दीं. कुतिया हैरान थी. तभी आदमियों के दो झुंड आपस में झगड़ते हुए दिखाई पड़े. कुत्ता यह देखते ही विपरीत दिशा में भाग छूटा. कुतिया और पिल्लों ने भी उसका साथ दिया.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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