Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by bindujain
हमेशा पोंछती रहती है आंसू अपने बच्चों के
सुना तुमने, किसी माँ का कभी आँचल भीगा क्या
'अनमोल शुक्ल अनमोल'.
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ये दुनिया तो झूठ पे जीती है इसमें
हम ऐसों का आबो-दाना थोड़ी है
टूटते रिश्ते पर रोना-धोना बंद कर
उसको अबकी बार मनाना थोड़ी है
(तुफैल चतुर्वेदी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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