Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
इसके अलावामुंशी इक़बाल वर्मा ‘सेहर’ ने रुबाइयों का अनुवाद किया जो इंडियन प्रेस,प्रयाग से छ्पा. ये अनुवाद मूल फारसी से किया गया था. लखनऊ केपं. ब्रजमोहन तिवारीके अनुवाद भी कुछ पत्रिकाओं में छ्पे थे. 1940 में अल्मोड़ा के तारा दत्त पांडे ने भी रुबाइयों का कुमांउनी में अनुवाद प्रकाशित किया. बाद मेंचारु चन्द्र पांडेने इस पुस्तक का कुमाउंनी से हिन्दी में अनुवाद किया.
1938 मेंश्रीयुत रघुवंश लाल गुप्तका अनुवाद, किताबिस्तान, प्रयाग से प्रकाशित हुआ. 1939 में जोधपुर केश्रीयुत किशोरीरमण टंडनने भी एक अनुवाद किया.पंडित जगदम्बा प्रसाद ‘हितैषी’ ने बहुत दिनों से रुबाइयात उमर खैयाम के ऊपर काम किया और उनकी पुस्तक का नाम शायद ‘मधुमन्दिर’ था.
1948 में भारती भंडार,प्रयाग द्वारासुमित्रानंदन पंतका अनुवाद प्रकाशित हुआ.जो “मधुज्वाल” के नाम से प्रकाशित हुआ था.
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