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Originally Posted by आकाश महेशपुरी
गीतिका/ ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
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देखिये कैसा जमाना आ गया
हर किसी को दिल दुखाना आ गया
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था वहाँ मैं मौत की आगोश में
उनको' लेकिन मुस्कुराना आ गया
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आ गया शमशान के नजदीक मैं
यूँ लगा जैसे ठिकाना आ गया
गीतिका/ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
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बहुत खूब. ग़ज़ल के आकार में भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति. उक्त पंक्तियाँ विशेष रूप से बहुत प्रभावशाली लगीं. इसे हमसे शेयर करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आकाश जी.